बरसात के मौसम में आसमान में दिखाई देने वाला इंद्रधनुष हमेशा मन को शांति और खुशी से भर देता है। इसके सात रंग प्रकृति की सुंदरता का अनोखा उदाहरण हैं। लेकिन यह रंगीन चाप बनता कैसे है? इस लेख में हम इंद्रधनुष बनने की प्रक्रिया को आसान भाषा में समझेंगे ताकि आप इसे वैज्ञानिक और प्राकृतिक दोनों रूपों में जान सकें।
इंद्रधनुष क्या होता है?
इंद्रधनुष आसमान में दिखाई देने वाला एक रंगीन प्रकाशीय चाप है, जो सूर्य की रोशनी और हवा में मौजूद पानी की छोटी-छोटी बूंदों के मिलकर बनने से तैयार होता है। यह एक ऐसा दृश्य है जो अक्सर बारिश के बाद दिखाई देता है और हर उम्र के लोगों को आकर्षित करता है।
इंद्रधनुष बनने की वैज्ञानिक प्रक्रिया
इंद्रधनुष बनने का रहस्य सूर्य की रोशनी और पानी की बूंदों के बीच होने वाली तीन महत्वपूर्ण प्रक्रियाओं में छिपा है—अपवर्तन, परावर्तन और प्रकीर्णन। जब सूर्य की सफेद रोशनी बारिश की बूंदों में प्रवेश करती है, तो वह मुड़ जाती है, जिसे अपवर्तन कहा जाता है। इसके बाद यह रोशनी बूंद की भीतरी सतह से टकराकर वापस लौटती है, जिसे परावर्तन कहा जाता है। इसके बाद जब यह रोशनी बूंद से बाहर निकलती है, तो यह कई रंगों में बंट जाती है और प्रकीर्णन की वजह से सात सुंदर रंगों का चाप आसमान में दिखाई देता है।
इंद्रधनुष दिखाई कब देता है?
इंद्रधनुष उसी समय बनता है जब आसमान में सूरज चमक रहा हो और दूसरी ओर बारिश की बूंदें हवा में मौजूद हों। इसे देखने के लिए जरूरी है कि देखने वाले की पीठ सूरज की दिशा में हो। सूर्य की रोशनी जब सामने की ओर मौजूद बूंदों पर पड़ती है, तब ही इंद्रधनुष का यह रंगीन दृश्य दिखाई देता है। यही कारण है कि बारिश के तुरंत बाद जब सूरज निकलता है, तब इंद्रधनुष देखने की संभावना सबसे अधिक रहती है।
इंद्रधनुष का आकार हमेशा गोल क्यों होता है?
बहुत लोग सोचते हैं कि इंद्रधनुष सिर्फ अर्धचंद्राकार ही क्यों दिखता है, जबकि सच यह है कि इंद्रधनुष पूरी तरह गोल होता है। पृथ्वी की सतह नीचे के हिस्से को हमारी नजरों से छिपा देती है, इसलिए जमीन से देखने पर केवल आधा इंद्रधनुष दिखता है। अगर कोई व्यक्ति हवाई जहाज़ या ऊँचाई से देखे, तो उसे अक्सर पूरा गोल इंद्रधनुष भी नज़र आ सकता है।
दुगना इंद्रधनुष बनने का कारण
कभी-कभी आसमान में दो इंद्रधनुष एक साथ दिखाई दे जाते हैं। इसे डबल रेनबो कहा जाता है। यह तब बनता है जब पानी की बूंदों के भीतर प्रकाश दो बार परावर्तित होता है। दूसरे इंद्रधनुष का रंग क्रम हमेशा उल्टा होता है और इसकी चमक भी कम दिखाई देती है।
इंद्रधनुष एक प्राकृतिक चमत्कार है जो हमें विज्ञान और प्रकृति के अद्भुत मेल का अनुभव कराता है। सूर्य की रोशनी और पानी की बूंदों के बीच होने वाली प्रक्रियाएँ इसे संभव बनाती हैं। इसकी सुंदरता केवल देखने में ही नहीं, बल्कि एक सकारात्मक संदेश भी देती है—अंधकार के बाद हमेशा रंगों की रोशनी आती है।

