जंगल में एक छोटी, प्यारी गिलहरी रहती थी, जिसका नाम चिकी था। चिकी बहुत चंचल और समझदार थी, लेकिन उसे एक ही चीज़ से डर लगता था – ऊँचाई से। वह बड़े पेड़ों पर चढ़ने में घबराती थी, जबकि बाकी सभी गिलहरियाँ बिना डरे ऊँचाई तक पहुँच जाती थीं।
एक दिन जंगल में प्रतियोगिता का आयोजन हुआ। इसमें सभी जानवरों को एक ऊँचे पेड़ पर चढ़कर वहाँ लगे सबसे मीठे फलों तक पहुँचाना था। जो जानवर सबसे पहले फल लेकर वापस आता, वही विजेता बनता।
चिकी ने सोचा, “मुझे भी प्रतियोगिता में हिस्सा लेना चाहिए। यह मेरा डर दूर करने का मौका है!” लेकिन उसके मन में डर था।
प्रतियोगिता शुरू हुई, और सभी जानवर पेड़ पर चढ़ने लगे। चिकी भी धीरे-धीरे पेड़ पर चढ़ने लगी, लेकिन थोड़ी ऊँचाई पर पहुँचते ही उसका डर बढ़ने लगा। उसने सोचा कि वह नीचे उतर जाए, लेकिन तभी उसे अपने दोस्तों की हिम्मत बढ़ाने वाली आवाज़ें सुनाई दीं, “तुम कर सकती हो, चिकी!”
अपने दोस्तों की बातें सुनकर चिकी ने खुद को संभाला और आगे बढ़ने का फैसला किया। उसने अपनी आँखें बंद की और धीरे-धीरे कदम बढ़ाने लगी। एक-एक शाखा पार करते हुए, उसने आखिरकार पेड़ की सबसे ऊँची शाखा तक पहुँच ही लिया। वहाँ उसे सबसे बड़ा और मीठा फल मिला।
चिकी ने खुश होकर वह फल तोड़ा और तेजी से नीचे उतरने लगी। जैसे ही वह नीचे पहुँची, सभी जानवरों ने तालियाँ बजाकर उसका स्वागत किया। चिकी को अपनी हिम्मत पर गर्व महसूस हुआ, और उस दिन उसने अपने डर को हमेशा के लिए दूर कर दिया।
सभी जानवरों ने उसे विजेता घोषित किया, और उस दिन से चिकी जंगल की सबसे बहादुर गिलहरी बन गई।