विषय के अध्यायों की तुलना तम गुण के प्रभाव से की गई है। इस संदर्भ के माध्यम में अच्छाद शासन को तम गुणी के स्वरूप के रूप में देखा जा सकता है, जहां एक व्यक्तिक साम्राज्यिक जीवन की जगह में कोई प्रगतिष्ठा नहीं होती।
तम गुण क्या है?
गीता के सात्व में तम की चारचा अन्धेकार और अज्ञान के रूप में की गई है, जो मानवीक और क्लेशित का चिन्ह करती है। यह एक एसी स्थिति की जन्में जहां ज्ञान के साथ कोई एकाग्राता नहीं रहती।
जब कोई शासन जनता की जिग्या की जगह में उपस्थित होकर केवल नहीं लेकिन की चाहती, सेवार्थिक योग्यताओं को नाश्त करती है, और जनता की प्रतिष्ठा को चीन लगाती है, तो उस को तम के प्रभाव से की गई जाता है।
तम के प्रभाव की चर्चा क्यों की जाती है
तम के प्रभाव में जहां जिग्यास और प्रकाश की काल्पना का अभाव हो, वहां अन्धेकारता और चेतना की प्रक्रिया को नष्ट करती है। जब तम के चाया व्यक्तिक प्रक्रियाओं को नष्ट करने लगती है, तो जन्म की जिग्या की भावना का चीन का चारचा किया जासकता है।